1. बेवफाई और धोखे पर शायरियाँ
“मेरी चुप्पी में छुपा है वो सवाल,
जो उससे पूछा नहीं गया…
उसने तोड़ा सही, पर ये बताओ,
क्यों मेरा दिल चुना गया?”
“वादों की इमारत बनाई थी मैंने,
पर उसकी नज़रों में थी मिट्टी…
जब गिरा तो पूछा उसने –
‘तुम्हारी हिम्मत कहाँ गई?’”
“किताब-ए-मोहब्बत के वो खलनायक निकले,
जिन्हें मैंने हीरो समझकर चुना था।”
“उसकी आदत थी रुलाने की,
मेरी आदत थी मुस्कुराने की…
आखिरी बार जब मिले,
उसने मेरी आदत तोड़ दी।”
2. चुप्पी और अकेलेपन की शायरियाँ
“अब तो आदत सी हो गई है,
रातों को खुद से बातें करने की…
वरना पहले किसी और का,
नाम लिया करती थी।”
“दर्द इतना गहरा है कि,
आँसू भी शर्मा जाते हैं…
चेहरे पर मुस्कान है,
पर दिल रोता जाता है।”
“लोग कहते हैं ‘समझदार हो गई है’,
पर कोई नहीं जानता…
जिसे समझा था, उसी ने
नासमझी सिखा दी।”
“अब तो यादें भी पूछती हैं –
‘तू क्यों ज़िंदा है अभी तक?’
जवाब देती हूँ –
‘मरने की भी हिम्मत नहीं रही।‘”
3. यादों और पुराने वादों पर शायरियाँ
“उसने कहा था – ‘तुम्हारे बिना साँस नहीं लूँगा’,
आज मैं हूँ, और वो किसी और की बाँहों में सोया है…
शायद साँस लेने का नया तरीका सीख लिया!”
“वो मिला नहीं, बस यादों के पन्ने मिले,
जिन्हें जलाने बैठी तो दिल का घर जल गया…”
“कहते थे – ‘तुम्हारी आदत लग जाएगी’,
सच कह दिया…
आदत तो लग गई, पर वो छोड़कर चले गए।”
4. खुद को संभालने की शायरियाँ
“अब ना उसका नाम लेती हूँ,
ना उसकी तस्वीर देखती हूँ…
बस आईने से पूछ लेती हूँ –
‘तू क्यों उसकी याद दिलाता है?’”
“मैंने सीख लिया है खुद को बाँटना,
एक हिस्सा नाराज़गी का,
एक हिस्सा बेवफाई का…
बस एक टुकड़ा अभी भी
उसकी मोहब्बत का है।”
“लोग कहते हैं – ‘भूल जाओ उसे’,
पर कैसे बताऊँ…
जिस दिल में उसका नाम लिखा हो,
*उसे फिर से खाली कैसे करूँ?”
5. नाराज़गी और गुस्से की शायरियाँ
“तुम्हारी यादों ने ज़हर घोल दिया है,
अब तो मौत भी शर्मिंदा है…
‘इतने छोटे से दिल में
इतना दर्द कैसे समाया?’”
“तुम्हारे जाने के बाद,
मैंने खुद को ही डाँटा है…
‘क्यों चुना था उसे,
जो तुझे चुनकर छोड़ गया?’”
6. उम्मीद और हार की शायरियाँ
“कभी उसकी साँसों की धुन सुनती थी,
आज खुद की साँसों से डरती हूँ…
कहीं ऐसा न हो,
ये भी थम जाएँ!”
“मैंने इंतज़ार का पैग़ाम भेजा था,
उसने वक्त की चिट्ठी भेज दी…
लिखा था –
‘अब नहीं आऊँगा, तू हार मान ले।‘”
7. समय और दर्द पर शायरियाँ
“वक्त कहता है – ‘सब ठीक हो जाएगा’,
पर दिल पूछता है –
‘जब टूटा हुआ था तू,
तूने कैसे सहा था?’”
“दर्द ने मुझे कविता बना दिया,
ज़ख्मों ने शायरी सिखा दी…
अब हर आहट पर
लफ्ज़ ढूँढ़ते हैं मेरे होठ।“